
राम मंदिर की वर्षगांठ: आस्था, इतिहास और गौरव का प्रतीक
परिचय राम मंदिर केवल एक भव्य धार्मिक संरचना नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और न्याय की एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर राम मंदिर का निर्माण हिंदू समाज के लिए गर्व और श्रद्धा का विषय रहा है। इस मंदिर की वर्षगांठ पूरे देश में भक्ति, उत्साह और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ मनाई जाती है।
राम मंदिर का ऐतिहासिक महत्व राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का संघर्ष सदियों पुराना है। भारतीय इतिहास में यह स्थान हमेशा एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा है। मंदिर के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया न्यायिक निर्णय और जनसामान्य की आस्था के संगम से पूर्ण हुई। 9 नवंबर 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर का भूमि पूजन किया गया, और इसके बाद भव्य निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ।
राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया मंदिर का निर्माण अत्यंत भव्य और विस्तृत योजना के तहत किया गया। वास्तुशास्त्र के अनुसार इस मंदिर की संरचना प्राचीन मंदिर निर्माण कला पर आधारित है। 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊँचा यह मंदिर नागर शैली में निर्मित किया गया है। इसमें पाँच मंडप, गर्भगृह, सिंहद्वार और भव्य शिखर बनाए गए हैं।
राम मंदिर वर्षगांठ का आयोजन हर वर्ष राम मंदिर की वर्षगांठ को भव्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन विशेष पूजा, हवन, धार्मिक प्रवचन, रामायण पाठ और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
- अयोध्या में उत्सव:
- भव्य रामलीला का आयोजन
- दीपोत्सव में लाखों दीप प्रज्वलित किए जाते हैं
- शोभायात्राओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
- देशभर में उत्सव:
- मंदिरों में विशेष पूजन
- समाजिक कार्यक्रम और भंडारे
- धर्मसभा एवं राम कथा का आयोजन
राम मंदिर का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव राम मंदिर का निर्माण केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता का भी प्रतीक है। इस मंदिर ने राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण को प्रेरित किया है। इस निर्माण कार्य ने हिंदू संस्कृति और सनातन परंपरा के गौरव को पुनर्स्थापित किया है।
राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को संपन्न हुई थी। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह आयोजन पौष शुक्ल द्वादशी तिथि को हुआ था। वर्ष 2025 में पौष शुक्ल द्वादशी तिथि 11 जनवरी को पड़ी, इसलिए प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ 11 जनवरी 2025 को मनाई गई।
इस अवसर पर 11 से 13 जनवरी 2025 तक तीन दिवसीय समारोह आयोजित किया गया, जिसमें विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, रामायण पाठ, और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल थे। प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ पर रामलला का अभिषेक और आरती दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर संपन्न हुई।
यह तिथि परिवर्तन हिंदू पंचांग के अनुसार त्योहारों की तिथियों में बदलाव के कारण हुआ है। पिछले वर्ष प्राण प्रतिष्ठा पौष शुक्ल द्वादशी के दिन हुई थी, जो 22 जनवरी को थी। इस वर्ष यह तिथि 11 जनवरी को आई, इसलिए प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ इसी दिन मनाई गई।
निष्कर्ष राम मंदिर की वर्षगांठ केवल एक दिवस नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति और आस्था का उत्सव है। यह दिन हमें न केवल प्रभु श्रीराम की मर्यादा और आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा देता है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक बन गया है।