राम मंदिर परिसर में रामायण कालीन पौधों का रोपण करने का प्रस्ताव है। इस प्रयास का उद्देश्य धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए मंदिर परिसर को एक प्राचीन और पवित्र स्थल के रूप में स्थापित करना है। निम्नलिखित पौधों को रामायण कालीन पौधों के रूप में पहचाना गया है और इन्हें परिसर में लगाने की योजना है:
1. तुलसी (Ocimum sanctum)
- महत्व: तुलसी को धार्मिक और औषधीय गुणों के कारण अत्यंत पवित्र माना जाता है।
- रामायण में: तुलसी को भगवान राम और श्रीकृष्ण की पूजा में महत्वपूर्ण माना गया है।
2. पीपल (Ficus religiosa)
- महत्व: पीपल का वृक्ष भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- रामायण में: रामायण में कई जगहों पर पीपल वृक्ष का उल्लेख मिलता है।
3. बिल्व (Aegle marmelos)
- महत्व: बिल्वपत्र को भगवान शिव की पूजा में अत्यंत पवित्र माना जाता है।
- रामायण में: इसका उपयोग रामायण काल में भी धार्मिक अनुष्ठानों में होता था।
4. आंवला (Phyllanthus emblica)
- महत्व: आंवला को धार्मिक और औषधीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।
- रामायण में: इसे भी विभिन्न धार्मिक कार्यों में प्रयोग किया जाता था।
5. वट (Ficus benghalensis)
- महत्व: वट वृक्ष का भी भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान है।
- रामायण में: इस वृक्ष के नीचे अनेक धार्मिक कथाएँ प्रचलित हैं।
6. अशोक (Saraca asoca)
- महत्व: अशोक वृक्ष को शोक दूर करने वाला माना जाता है।
- रामायण में: अशोक वाटिका, जहाँ सीता माता का हरण कर के रखा गया था, इसी वृक्ष के नाम पर है।
7. कदम्ब (Neolamarckia cadamba)
- महत्व: कदम्ब वृक्ष का धार्मिक महत्व है और इसे भगवान कृष्ण की लीलाओं से जोड़ा जाता है।
- रामायण में: यह वृक्ष उस समय के वनस्पति में एक प्रमुख स्थान रखता था।
8. बरगद (Ficus benghalensis)
- महत्व: बरगद का वृक्ष दीर्घायु और सदा हरा-भरा रहता है, इसे भी पवित्र माना जाता है।
- रामायण में: इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता था।
9. अर्जुन (Terminalia arjuna)
- महत्व: अर्जुन वृक्ष को आयुर्वेद में हृदय रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है।
- रामायण में: इसका उल्लेख भी धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
10. नीम (Azadirachta indica)
- महत्व: नीम को भी औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और इसे पवित्र माना जाता है।
- रामायण में: यह वृक्ष रामायण काल में भी अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध था।
इन पौधों का रोपण न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व को भी बढ़ाएगा। यह परियोजना राम मंदिर को एक जीवंत पवित्र स्थल बनाने में सहायता करेगी, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर के रूप में स्थायी रूप से स्थापित रहेगा।