तुलसी स्मारक भवन संग्रहालय अयोध्या में स्थित एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक केंद्र है। यह भवन 16वीं सदी के प्रसिद्ध संत-कवि गोस्वामी तुलसीदास की स्मृति में बनाया गया था, जिन्होंने रामचरितमानस की रचना की थी। यह संग्रहालय साहित्य, संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर को संरक्षित और प्रदर्शित करने का कार्य करता है।
तुलसी स्मारक भवन का निर्माण 1969 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल श्री विश्वनाथ दास के प्रयासों से किया गया था। यह भवन अयोध्या के राजगंज क्रॉसिंग के पास स्थित है और माना जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी
संग्रहालय की विशेषताएँ
1. रामकथा संग्रहालय
1988 में स्थापित, रामकथा संग्रहालय रामायण से संबंधित कलाकृतियों और पुरावशेषों का संग्रहालय है। यहाँ भगवान श्री राम के जीवन और समय से संबंधित कई दुर्लभ वस्तुएँ प्रदर्शित की जाती हैं। संग्रहालय में विभिन्न कालों के सिक्कों का भी संग्रह है, जिसमें प्राचीन कर मुगल काल के सिक्के शामिल हैं
2. अयोध्या शोध संस्थान
तुलसी स्मारक भवन में अयोध्या शोध संस्थान भी स्थित है, जो अयोध्या की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक परंपराओं का अध्ययन करता है। यहाँ एक विशाल पुस्तकालय है, जो इतिहासकारों और विद्वानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस संस्थान में रामायण कला और शिल्प की एक स्थायी प्रदर्शनी भी है
3. संस्कृतिक कार्यक्रम और रामलीला
स्मारक में हर दिन शाम 6 बजे से 9 बजे तक रामलीला का प्रदर्शन होता है। इसके अतिरिक्त, यहाँ नियमित रूप से प्रार्थना, धार्मिक चर्चाएँ, कीर्तन और भजन भी होता है। तुलसी जयंती (श्रावण महीने के सातवें दिन) को यहाँ विशेष धूमधाम से मनाया जाता है
समय और प्रवेश
तुलसी स्मारक भवन संग्रहालय सोमवार और दूसरे रविवार को बंद रहता है। इसे देखने का सबसे अच्छा समय सुबह 10 बजे से शाम 9 बजे तक है। यहाँ प्रवेश नि:शुल्क है और इसे देखने में 1 से 2 घंटे का समय लगता है
संग्रहालय की यात्रा का महत्व
तुलसी स्मारक भवन संग्रहालय अयोध्या की समृद्ध सांस्कृतिक का अनुभव करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। यहाँ का प्रत्येक कोना और प्रदर्शनी अयोध्या के गौरवशाली अतीत की झलक प्रस्तुत करती है, जो इसे हर यात्री के लिए अवश्य देखने योग्य स्थल बनाता है
तुलसी स्मारक भवन संग्रहालय केवल एक संग्रहालय ही नहीं, बल्कि यह अयोध्या के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक है। यह स्थल गोस्वामी तुलसीदास की महानता को श्रद्धांजलि देता है |

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